साधना के नाम पर 90 लाख की ठगी! पुलिस ने नाव से पीछा कर पकड़ा!

 नर्मदापुरम की पुलिस ने छिंदवाड़ा स्थित रामजानकी मंदिर के खाते से 90 लाख रुपये की ठगी के आरोपी रीना रघुवंशी (उर्फ 'साध्वी लक्ष्मी दास') को नौटंकी भरे अंदाज़ में गिरफ्तार किया। 



कौन हैं रीना रघुवंशी?

  • लगभग 39 वर्षीया रीना ने खुद को “साध्वी लक्ष्मी दास” बताकर रामजानकी मंदिर की देखरेख कर रही थीं।

  • आरोप है कि उन्होंने मंदिर के पूर्व महंत कनक बिहारी दास के निधन के बाद उनके बैंक खाते से करीब ₹90 लाख निकाल लिए थे

गिरफ्तार कैसे हुईं?

  1. ठगी का मामला: महंत की मौत के बाद जितनी राशि गायब हुई, उसमें रीना और संभवतः बैंक मैनेजर का हाथ बताया जा रहा है

    1. पुलिस की सूचना: पुलिस को सूचना मिली कि रीना नर्मदापुरम जिले के चंद्रकलां गांव में यज्ञ या साधना का बहाना बनाकर छिपी हुई थी।
    1. नाव और रेस्क्यू ड्रामा: जब पुलिस पहुंची, रीना “टॉयलेट जाने” का बहाना बनाकर भाग गई। इसके बाद पुलिस ने गांव घेर कर नाव मंगवाई, नदी पार कर उन्हें दूसरे गांव में पकड़ लिया।

अदालत और पुलिस रिमांड

  • रीना को चौरई पुलिस ने नर्मदापुरम के चंदपुर गांव में दबोचा

  • कोर्ट में पेशी के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था, और रीना को दो दिन के लिए पुलिस रिमांड में भेजा गया

ठगी की रणनीति

  • रीना ने महंत की मृत्यु के बाद उनकी मोबाइल नंबर और बैंक खाता का उपयोग घोटाले के लिए किया – बिना किसी मंज़ूरी के ₹90 लाख निकाले गए।

  • MP हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज किया था और सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई राहत नहीं दी

'साधना' का बहाना फायदे में

  • छुपने के दौरान रीना ने खुद को “यज्ञ में साधना करने वाली साध्वी” बताया, ताकि पुलिस या आसपास के लोगों को शक न हो।

  • गांव में लोग इसे धर्मकृत समझ रहे थे, जब तक पुलिस ने संदेह बढ़ने पर गतिविधि को ट्रेस कर उनके पीछे पड़ी

सारांश

पहलूजानकारी
आरोपीरीना रघुवंशी उर्फ साध्वी लक्ष्मी दास
राशि₹90 लाख
ठगी की जगहरामजानकी मंदिर, छिंदवाड़ा
गिरफ्तारी प्रक्रियापुलिस ने नाव से नदी पार होकर छुपे गांव में पकड़ा
कानूनी स्थितिकोर्ट में पेशी, दो दिन रिमांड, जमानत याचिका खारिज

अगला कदम क्या होगा?

  • अब पुलिस रीना के बैंक ट्रांजैक्शन, सहयोगियों और ठगी के लिंक की जांच कर रही है।

  • मंदिर कमिटी को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई और बैंक अधिकारी की भूमिका की पड़ताल की जाएगी।

  • अगली कोर्ट वापसी और आरोप-प्रमाण का सुनवाई प्रक्रिया को आगे बढ़ने की राह होगी।

निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ आर्थिक ठगी नहीं, बल्कि एक धार्मिक आडंबर के पीछे छिपे अपराध की कहानी है। नौटंकी-भरे अंदाज़ में छिपना और मंदिर का मुखौटा लगाकर ₹90 लाख की ठगी करना दर्शाता है कि अपराधी हर दिशा में छिपे रह सकते हैं। अब न्याय व्यवस्था यही तय करेगी—क्या यह सज़ा, और कितनी सज़ा — ताकि आगे कोई फिर ऐसे बहानों में छिप न पाए।

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