क्रिकेट की शुरुआत: एक झलक इतिहास की ओर
आज जिस क्रिकेट को हम स्टेडियम में चीयर करते हैं या टीवी पर आंखें गड़ाकर देखते हैं, उसकी कहानी बहुत पुरानी है। क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि अब एक जुनून बन चुका है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई?
इस खेल की जड़ें इंग्लैंड की धरती में गहराई तक दबी हुई हैं। माना जाता है कि क्रिकेट की शुरुआत 13वीं से 16वीं सदी के बीच दक्षिणी इंग्लैंड में हुई थी, जब बच्चे खेतों में लकड़ी और गेंद से एक साधारण खेल खेला करते थे। उस समय इसे कोई नाम नहीं मिला था, न ही इसके कोई निश्चित नियम थे।
शुरुआती स्वरूप कैसा था?
शुरुआत में क्रिकेट बच्चों का खेल माना जाता था, जिसे खुली जगहों, खेतों और चरागाहों में खेला जाता था। बल्ले की जगह लकड़ी की टहनी और गेंद की जगह सूती कपड़े में लपेटी चीज़ें हुआ करती थीं। धीरे-धीरे जब इस खेल में युवा और फिर वयस्क शामिल होने लगे, तब जाकर इसमें प्रतिस्पर्धा और नियमों का प्रवेश हुआ।
यह बात रोचक है कि उस दौर में क्रिकेट में गेंदबाजी अंडरआर्म यानी हाथ नीचे रखकर की जाती थी। बल्ला भी आज के स्टिक जैसे नहीं, बल्कि हॉकी के पुराने स्वरूप जैसा गोल और मुड़ा हुआ होता था।
पहला लिखित रिकॉर्ड
क्रिकेट का सबसे पुराना लिखित उल्लेख 1598 में मिलता है, जब एक अदालत के दस्तावेज़ में "creckett" शब्द का उपयोग किया गया था। इसके बाद 1611 में इसे अंग्रेज़ी शब्दकोश में "a boys game" यानी लड़कों का खेल बताया गया।
धीरे-धीरे इसका विकास होता रहा और 17वीं शताब्दी के मध्य तक यह इंग्लैंड में कई जगहों पर एक लोकप्रिय खेल बन चुका था।
क्रिकेट और कुलीन वर्ग
18वीं शताब्दी में क्रिकेट को एक नया मोड़ मिला, जब इंग्लैंड के अमीर और कुलीन वर्ग के लोगों ने इसे अपनाया। अब यह बच्चों का नहीं, बल्कि राजाओं, दरबारियों और जमींदारों का खेल बनता जा रहा था। इन लोगों ने अपने मनोरंजन के लिए टीम बनाई और फिर दांव-पेच भी जुड़ने लगे।
1730 के दशक तक क्रिकेट में सट्टेबाज़ी और दर्शकों की भीड़ बढ़ने लगी। मैदान तय हुए, अंपायर रखे जाने लगे और धीरे-धीरे नियम भी स्पष्ट होने लगे।
MCC की स्थापना और आधुनिक नियम
क्रिकेट में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब 1787 में "Marylebone Cricket Club" (MCC) की स्थापना हुई। यह क्लब लॉर्ड्स (लंदन) में बना और यहीं से क्रिकेट के नियमों की औपचारिक घोषणा हुई। MCC ने खेल को एक व्यवस्थित रूप दिया, गेंदबाजों को ओवरआर्म गेंदबाज़ी की अनुमति मिली, और अंपायरिंग के कायदे तय हुए।
MCC के बनाए नियम आज भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की बुनियाद हैं।
क्रिकेट का वैश्विक विस्तार
19वीं शताब्दी में जब इंग्लैंड ने उपनिवेशों की ओर रुख किया, तब क्रिकेट भी उनके साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज़ जैसे देशों में पहुंच गया।
क्रिकेट को ब्रिटिश फौजियों और अधिकारियों के जरिए स्कूलों और क्लबों में शामिल किया गया। भारत में पहली बार इसे मुंबई (तब बंबई) में पारसी समुदाय ने अपनाया और फिर धीरे-धीरे बंगाल, मद्रास और पंजाब तक फैल गया।
पहला अंतरराष्ट्रीय मैच
क्रिकेट का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1844 में अमेरिका और कनाडा के बीच खेला गया था, लेकिन इसे अनौपचारिक माना गया।
1877 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न में खेले गए टेस्ट मैच को पहला आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय टेस्ट माना जाता है।
इस मैच ने क्रिकेट को वैश्विक पहचान दिलाई। अब यह खेल सिर्फ इंग्लैंड तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दुनिया के दूसरे कोनों में भी लोगों की धड़कन बनने लगा।
भारत में क्रिकेट की यात्रा
भारत में क्रिकेट ने एक अनोखी पहचान बनाई। अंग्रेजों के दौर में पारसी, हिन्दू, मुस्लिम और यूरोपीय टीमों के बीच बॉम्बे ट्राईंगुलर टूर्नामेंट शुरू हुआ।
फिर 1932 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स मैदान पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा।
कपिल देव की कप्तानी में 1983 का विश्व कप जीतना भारत के क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा मील का पत्थर बना। इसके बाद 2007 का T20 वर्ल्ड कप और 2011 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद क्रिकेट भारत में धर्म जैसा बन गया।
तकनीकी बदलाव और आधुनिक क्रिकेट
आज क्रिकेट सिर्फ मैदान का खेल नहीं है, बल्कि तकनीक, ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल विश्लेषण का भी खेल बन गया है। DRS (Decision Review System), हॉक-आई, स्निकोमीटर जैसी तकनीकें खेल में पारदर्शिता लाने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं।
फिर IPL जैसे लीग क्रिकेट ने क्रिकेट को ग्लैमर, पैसा और टैलेंट से जोड़ दिया है। यह खेल अब सिर्फ 5 दिन का टेस्ट नहीं, बल्कि 3 घंटे का T20 रोमांच बन चुका है।
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